जीस केसी को चाहो वो बेवफा हो जाता है
जब तक का आम आओ हुसमफर कहतता है
काम निकल जाने पर हुसमसर कोई दोस्त्रा हो गयाता है
कभी नहीं था हूम कभी ज़माने की रसवाई का
ताकलेफ होती है जब कभी अपना कफा हो गयाता है
दिल की क्वॉहिश अकसर जान लेवा होती है
दार्ड-ए-दिल एक हद के बाद दावा होजाता है
याहानी सचिये है, दस्तानूर-ए-जिंदगी है
कुछ मिलते हैं Humraahi
फिर हर कोई तन्हा रीजता है ..