ऐ मोहब्बत तेरे अंजम से रोना आया
जेन क्युन आम तेरे नाम से रोना अया,
यू के लिए उसे शाम उमड मुझे गजार जाति है।
आज कुछ बात करने के लिए आइ से शाम पे रोना गया है।
कभी तक्षक, कबिठी, कबी दुनया का जिला,
मंज़िल-ए-इशाक के हर काम से रोना अया
जब हुआ ज़माना मुझे मोहबत का ज़िक्र
मुझ आफ़ें दिल-ए-नाकाम पे रोना अया …