आपकी दोस्त पर ना है हैम,
काल था जिंदा भरोसा आज है है !,
दोस्त वो नहीं जो ख़ुशी मुझे सथ डे,
वही जो हर तरह से अपनपान का अहसास दे !!
नशा हू कर्ते है,
इल्जम शराब को दलित जाते हैं,
इश्मीन कासुर शराज़ का नहीं पर उखा है,
जिंका चेहरों हैम हर जाम में नज़र आता है।
हर ख़मोशी का मटलाब इनकार नहीं होता,
हर नाकामीबिया का मातब हायर नहीं है।
क्या हुआ अगर तुम पाप ना शेक हम,
सिरफ पाणा का मटलाब प्यार नहीं है।
हाम तेरे दिल में उठने वाले येद बैंकर,
तेरे लबो पे खिललें मुस्का बैंकर
कही अपन से जुडा मट समझा,
हम तेरे साथ चलेगे आम आदमी बैंकर