ना कब से सीगी किया
मुज़े अज्ज उक्का सिला मिला
मुहब्बत की किटब का
हर एक वारक जला दीया
डब्ल्यू ओ जो अरज़ू का चिराग था
उस्सी नफरतून ने बज्जा दीया
मुगी जाख़ फिर एक नई दीया
मुंजा मुहब्बत ने क्या दिये है
वो जो कहें वे खुश रहो
वो जो कहें वे मेरी जान हो तुम
हर लाम्ह हंसा करे
मुंघरी आज अनहोन से रुल दीया
मेरा नाम से मीता दय !!!!