बहार से नफरत थी,
पर दिल मुझे वो बस था था!
वो पागल सा एक लड़का,
जो देख के मुंह हांस्टा था !!
क्यूं ठुकरा? मँग को उस्की,
सुच के ए अब पतिटी है!
दिल के बदले दिल मंगा था,
सौदा कहानी ज्ञान था!
किस पचह? काईचुछु?
क्यूं नहीं है, अब दिखेये!
रोज़ गजारता था वो idhar से,
उस्का यहीं रास्ता था !!
दर्ड छू कर जीना उस्की,
बहुत पुरानी adat थी!
भीदर-भीतेर रोटा था वू,
बाहर-बहार हांस्टा था !!