खात अपनी छाटन का सिलसिला काई हुआ
तू से मुझ में जजाब था मुझ से जुदा काई हुआ
वो जो सिरीफ तेरे और केवल मुझे एक बात बात थी
आओ सोचिन सेहर हमें ते आना काई हुआ
चुभ गैलिन दिखने में तूती ख्वाहिशोन की किरकियान
क्या पसंद दिल टूटनी का हथ्ससी काशी हुआ
जो रंग-ए-जान-तो किली मित्र है अब धोखेर फेयर कार
सोचत हूने कश्मीर वो बेवाफा काई हुआ …