इश्क जो कर्ते तुज जालीम
हम भी आसीन प्रतिबंध जाट
दिल भी टोट टी, चोटी भी ख़त
हम भी शहीयार प्रतिबंध जाट
सुने ऐये है डुनिया से
इश्क जो करते है रोटी है
अपन औंसु पोचते हम भी,
हम भी श्याद पचट
जिधर भी दिंखों लग लगी है
तेरे चौहान वो मुझे
शेहर मुझे चारो या हवा है
आज भी है वो लेगबेट
दीवाने ते दीवाना है
दीवानो कि बायेये कया
जान हैहेली बराबर है
सर भी स्वयं कातबाते