फिर की सी यादा ना शब भर है जानिए मुझ को
क्या सज़ा दि है मोहब्बत ने ख़ुदाया मुझ को
दीन को आराम है ना रात को चेन कबी है
जान की किस्से से क्वेरत ने बयाया मुझ को
दूख से ये है कि जमाने मुख्य मील घिर सारी
जो मिला है वो मिलै प्रतिबंध की सपना मुझ को
जब कोई भी ऩ्हह कंधा मेर रोन को
घर की देवरो ने सेने से लगिए मुझ को
मैट पिच ई डनिया वलो मुझसे
किस कैडर मोहब्बत ने रूलया मुझ को
यूँ से उमीद-ए-वफा तू से नहीं है कोई
फिर चारों में क्या तार्ह किस ना जलाया मुझ को
बवेफा जिंदगी ना जाब चोर दया है तनहा
मुट ने पियार से पेह्लू मुख्य बिथ्या असाखी को
वो दिये हू जो मोहब्बत ने जलाया था कैशी
जी हू की न ही सर-ए-शाम बुज्या मुझ को।