ऐसा जीते क्या जो कवि आदमी से
चिरियां का जो नेल गगन से
दरवाजा देश का घर आंगन से
वो रिश्ते तेरा मेरा है
प्रतीति का जो पूजन से
और आत्मा का तन से है
वो रिश्ते तेरा मेरा है
आंसू का जो भी नयन से
बूंदों का जो देखा है
दोहर कोच्चि पर धरना गगन से
वो रिश्ते तेरा मेरा है
दिल की गेंथे खोल की देखो
मैन की आंख खोले देखो
चटक् सा विस्वास समेट
ये आपका तेरा मेरा है