जो कुचा है आसमन मी
जो बहेर वो बैर मी है
ये “आपका” वजूद है
जस के तुफ़ैल याहान
खुशबू गुलाब मी है
ताजजल्ली कमर मी है
कफर हुई जुल्मेट
शब फैल गया नूर
रोशन ये की का नाम
आज़ान-ए-साहर है है
में हूं महेज-ए-इश्क नबी
डब्ल्यूओएच मेरी ताबीब ……।
लाजत सी एक नाहा
मेरा जक्म-ए-जिगर मी है
आइ हुन दारूर पे …
ये केहती हूं आप से
लायी हुई वो गौहर
जो मेरी चष्म तारार मी है ……