Do lafjo main kehe na seke…
Bin keh k rehe na seke…
Kash tum mere re hote
Do lafjo main kehe na seke…
Bin keh k rehe na seke…
Kash tum mere re hote
O ankhon v kea ankhon hain Jo apko na dekhe….
O labj v kea labj hain Jo apke kuchh na bole…
Jab bakt Ko v pata chala ki ap ka intejar me hain hum… Na Jane kiu bkt v rukte hain … Sahara dete hain hume… Uhi kat jaega Safar sath chal ne se… Ki manjil aegi samne….
पानी से तसवीर कहां बंटी है,
ख्वाबो से ताक कहां बंटी है,
केसी को चो से सैक दिल से,
Knunki ये जिंदगी फिर कान मिल्ती है
मोहब्बत में एक सफार का सिलसाला घास
बिरकर कर कुन किस सो चॉए घाटी
जईस मंगा थी मुख्य ने हर दुआ मुख्य
वो बिन मेन्गे किससी को मिल गया था?
मेरी आँखों से तनहाई का मूसम
समंदर प्रतिबंध कर अशोक झंक्टा घास
जईस परवाह नहिन मेरी जारा सा भी
वो जेन रात भर क्यून जिगता घास
जईस हर मूर पर दुखर हाय मील है
खुसी को वो कहें पहंचता घास
यूसे तू तुझे किस धम्मकी ना देना
ये आष्फता हार का कफला घास
मेरी देहांत की किस्मत में पक्की है
खुसी बोटा घाट और गम काट टा घास …
-साबा सैयद
Hamari ankh rahi ashaqbaar barso tak
तुम्हा हामने की इंटज़र बारसे तो
वो शैक्स चूड गया मुझे बीच में खड़खड़ाते थे मुझे
जो बैंकर मेरा राहा जानीर्स बारो तो
भी गम था का उपयोग करेंथोड़ दीन का प्रयोग करें
हमरा भी दिहा रहे हैं बरकरार बार
पाल zapapk का उपयोग बुलन जान नंमकिन
वो जस्का दिल पे भी इिक्तिर बारसो था
बिचात वक्ता जो तुम्हे हैम दीये
हरे वो झखम हू बाबर बोरो तिक …………… !!
“तू भूल जौन, ये मुमकिन नहीं है”
तुफ़ी जौन, ये मुमकिन नहीं है
तेरी मेहफिल में अयान, ये मुमकिन नहीं है
तुफ़ी जौन …………
… 1 …
दरस को जिन्क, तारसी ये नीघे
अनके दिल से दुर जौन ये मुमकिन नहीं है,
तुफ़ी जौन,
तेरी मेहफिल में अन्ना …।
… 2 …
बासी हो टुम मेरी, राग – राग मीन दिलबार,
कभी तू ना याद आओ, ये मुमकिन नहीं है |
तुफ़ी जौन ……
तेरी मेहफिल में ऐन
… 3 …
हरेक सैरी तेरा, मुजू पाता है,
जहां ना हो टम, मुख्य वाह चाला जौन,
ये मुमकिन नहीं है | तुफ़ी जौन,
तेरी मेहफिल में आने ……।
… 4 …
मेरे दर्डे दिल की, दावा, तुम हाय तुम हो,
मुख्य आउरो का हो जान, ये मुमकिन नहीं है |
तुफ़ी जौन,
तेरी मेहफिल में ऐन
… 5 …
सीतेरे भी तारैत है, तेरे अरजू को
तेरे पास एके, मुख्य दुर चला जौन,
ये मुम्ंक नहीं है तुम छुन जौन ……
तेरी मेहफिल में आने ……।
ऐसा जीते क्या जो कवि आदमी से
चिरियां का जो नेल गगन से
दरवाजा देश का घर आंगन से
वो रिश्ते तेरा मेरा है
प्रतीति का जो पूजन से
और आत्मा का तन से है
वो रिश्ते तेरा मेरा है
आंसू का जो भी नयन से
बूंदों का जो देखा है
दोहर कोच्चि पर धरना गगन से
वो रिश्ते तेरा मेरा है
दिल की गेंथे खोल की देखो
मैन की आंख खोले देखो
चटक् सा विस्वास समेट
ये आपका तेरा मेरा है
सूरज ढल गया अथेरा होन लागा
फिर कूं तम्हारी यदों में मेरा दिल कोह लांगगा
अभी तक हंस गया था वह दिल
क्यूना रात एट हाय रोन लगागा
क्यूं तूरी येद एट हाय हो तुम होन लागगा
ना जेन कब आइगी फिर वो बहार
जब रविन को मीलगी तेरी वो मेई फुहार
ना जेन कब सथ दिगा दोबारा तु तुत हुए सज
जब दोबारा सूनने को मिलेगी तेरी मिलते हैं
ना जेन कब आइगी वो रात
जब मिलने को माने गीत तेरे दिल में भी उततेगी आगा
ना जेन कब हो गया दोबारा तेरा आदमी
कबी दिखाना हर पल एपन बिस्कूड मेहबोब को तर्सेन तेरे नैन
क्या भारत की गंगा पर चार दिनों का पर है है
दिल मुझे केवल कूंक एक जखम है, है
क्यूं हर पल मेरी आंखों की उम्र तेरा हैरत है
क्यूं वाश में नहिन हां मात्र तु जजाबात
कोइ से बटा दी आसा क्या हुआ है ही दिल की सथ।
केब लौट के आयेगे फेर वो दीन
जब जिया नहिन जायेगा तुम्से मील बिन
ना जेन कब आइगी वो रात
जब तुम अराम तनहाई की जोगा
तुम ख़ुद ही होोगी मैं हूं
फिर की सी यादा ना शब भर है जानिए मुझ को
क्या सज़ा दि है मोहब्बत ने ख़ुदाया मुझ को
दीन को आराम है ना रात को चेन कबी है
जान की किस्से से क्वेरत ने बयाया मुझ को
दूख से ये है कि जमाने मुख्य मील घिर सारी
जो मिला है वो मिलै प्रतिबंध की सपना मुझ को
जब कोई भी ऩ्हह कंधा मेर रोन को
घर की देवरो ने सेने से लगिए मुझ को
मैट पिच ई डनिया वलो मुझसे
किस कैडर मोहब्बत ने रूलया मुझ को
यूँ से उमीद-ए-वफा तू से नहीं है कोई
फिर चारों में क्या तार्ह किस ना जलाया मुझ को
बवेफा जिंदगी ना जाब चोर दया है तनहा
मुट ने पियार से पेह्लू मुख्य बिथ्या असाखी को
वो दिये हू जो मोहब्बत ने जलाया था कैशी
जी हू की न ही सर-ए-शाम बुज्या मुझ को।